बुधवार, 27 जनवरी 2010

नौका विहार ---इतिहास की प्रष्ठ भूमि में ---

दिल्ली के पुराने किले के आगे बनी यह खूबसूरत झील, हजारों लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गयी है। अभी इसका पूर्ण विकास कार्य चल ही रहा है। फिर भी देखिये कैसा महसूस होता है यहाँ आकर।

मथुरा रोड पर बना ये एंट्री गेट ---गर्मागर्म मूंगफलियाँ ---सर्दियों में दे गर्मी का अहसास।

गेट से घुसते ही देखिये एक तरफ सड़क का ट्रैफिक , दूसरी ओर झील का पानी।

ये पगडण्डी आ रही है , पुराना किला की ओर से। यानि किले से बाहर निकलकर आप यहाँ आ सकते हैं।

प्रष्ठ भूमि में किले की दीवार।

ऐसे में बोटिंग का अपना ही मज़ा है। लगेगा जैसे आप कोई मुग़ल बादशाह हैं।


एक और द्रश्य।

बोटिंग के लिए टिकेट यहाँ मिलती है। पचास रूपये में आधा घंटा --चार व्यक्तियों के लिए । बढ़िया है ना।

लेकिन शाम होने आई, इसलिए हमने तो फिर कभी आने का निश्चय किया बोटिंग करने के लिए।

अंत में देखिये यह पेड़ --टूट कर गिर गया , मगर झुका नहीं। गिरे गिरे ही फिर से हरी हरी टहनियां उग आई।

शायद यही सीख देते हुए की विपरीत परिस्थितियों में भी कभी हार मान कर नहीं बैठ जाना चाहिए।
पर्सिस्तेंस और पर्जिवेरेंस ही सफलता की कुंजी हैं।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपने तो बहुत सुन्दर जगह की सै करवा दी और साथ मे सुन्दर सन्देश भी दे दिया तस्वीरें वहाँ की सुन्दरता कह रही हैं इस बार जब दिल्ली आयी तो जरूर देखूँगी। धन्यवाद्

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  2. बहुत सुंदर चित्र, ओर जानकारी भी बहुत अच्छी, लेकिन आधा घंटा के पचास रुपये, बहुत ज्यादा नही है, अजी हम तो अपनी वॊट बगल मे ले कर चलते है, हवा भरो ओर तेयार, बोटिंग के बाद फ़िर झोले मै..

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  3. सुंदर चित्र , बल्कि कहुंगा चित्रमय संदेश

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  4. आज थोडा फुर्सत में थी और कुछ करने का मन नहीं था सोचा आपका ये ब्लॉग देखूं. पूरा ब्लॉग देखा जाने कहाँ कहाँ कि सैर कर डाली मन भी ताज़ा हो गया और मज़ा आना तो स्वाभाविक ही था. बहुत बहुत आभार

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  5. कमाल है...
    दिल्ली में ही जनम लिया ही..
    पुराना किला देखा भी है.लेकिन ये सब जगहे एक दम नयी हैं अपने लिए...

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  6. वास्तव में ही बहुत सुंदर चित्र हैं, दिल्ली भी इतनी सुंदर है कभी इस ऩज़र से भी हमें देखना चाहिये

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